नई दिल्ली, नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट चुनावी साल होने के चलते लोकलुभावन हो सकता है। बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट 1 फरवरी को पेश किया जा सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण छठवीं बार आम बजट पेश करेंगी। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा जो 9 फरवरी तक चलेगा। जानकारी के मुताबिक 31 जनवरी को राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित करेंगी। इसके अगले दिन वित्त मंत्री देश का बजट पेश करेंगीं।
जानकारी के मुताबिक बजट सत्र में राष्ट्रपति के संबोधन के बाद आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को भी 31 जनवरी को ही पेश किया जाएगा। चुनावी साल होने के चलते इस बार सरकार देश की आधी आबादी को बड़ा फायदा दे सकती है। माना जा रहा है कि किसान सम्मान निधि की राशि भी बढ़ाई जा सकती है। सरकार का ये अंतरिम बजट होगा लिहाजा जनता के कल्याण के लिए भारी धनराशि खर्च करने का ऐलान किया जा सकता है।
बता दें कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये आखिरी बजट है। इसी साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में चुनाव से ठीक पहले आने वाला ये बजट की काफी अहमियत होती है। सरकार हर हाल में आम जनता के बड़े वर्ग को फायदा पहुंचाना चाहेगी। जिनके वोट की दरकार सत्तासीन सरकार को है। ये परंपरागत तौर पर होता रहा है चाहे जिस भी पार्टी की सरकार हो, चुनावी साल में बजट लोकलुभावन ही होत है। इसके बाद दूसरा बजट चुनाव के बाद गठित नई सरकार पेश करती है।
किसानों, महिलाओं के अलावा मध्यमवर्ग की बड़ी आबादी टकटकी भरी नजरों से सरकरा की ओर देख रही है। मध्यमवर्ग का एक बड़ा हिस्सा टैक्स का भुगतान करता है। जबकि फायदे में इनकी हिस्सेदारी अमूमन कम होती है। मध्यमवर्ग का वोट हासिल करने के लिए निर्मला सीतारमण कुछ बड़ी घोषणाएं कर सकती हैं जिसमें टैक्स स्लैब में और राहत जैसे कदम शामिल हैं।
बजट पेश करने के पूर्व की कवायद जारी
आम बजट पेश करने के पहले वित्त मंत्रालय को महीनों पहले से ही तैयारी करनी होती है। हालांकि पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाता है। बजट पूर्व निरंतर बैठकें चलती हैं एवं सरकार अपने विरोधियों के भी सुझाव लेती है। अहम घोषणाओं के बीच सबसे अधिक चर्चा किसान सम्मान निधि को बढ़ाने को लेकर है, इसके अलावा लाड़ली योजना की तरह महिलाओं को सीधा आर्थिक लाभ देने जैवी कवायद पर भी विचार हो रहा है। चुनावी बजट में अक्सर सरकारें वित्तीय घाटे को अनदेखा करती है। कल्याणकारी योजनाओं और पैकेज के नाम पर मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार भी चूकने वाली नहीं है।
देश की आर्थिक हालत फिलहाल बेहतर है। सरकार के पास खुले हाथ योजनाओं पर खर्च करने का विकल्प है। मोदी सरकार ने अब तक वित्तीय घाटे को नियंत्रित कर रखा है। हालंकि अगर सरकार जनता को सीधे कैश बेनिफिट का ऐलान करती है तो वित्तीय घाटे को संभालना मु्श्किल होगा।
2024 की ही तरह अगर 2019 आम चुनाव से पहले अंतिम बजट को याद करें तो सरकार ने कई क्रांतिकारी निर्णय लिये थे। सबसे अहम था किसान सम्मान निधि की घोषणा, इतना ही नहीं चुनाव से पहले किसानों को पहली किश्त भी जारी कर दी गई थी। साल 2019 के बजट में मिडिल क्लास को टैक्स स्लैब में बड़ी राहत दी गई थी। माना जाता है कि इन घोषणाओं का बीजेपी को लाभ मिला था और केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार की वापसी हुई थी।
माना जाता है कि हाल के वर्षों में पीएम मोदी की अगुआई में सरकार ने लाभार्थी वर्ग के रूप में नया वोट बैंक बनाया है। इसमें BJP को किसी तरह का सेंध न लगे इसके लिए पार्टी की पूरी कोशिश है। पार्टी को अंदाजा है कि इस बार I.N.D.I.A. गठबंधन की अगुआई में विपक्ष लुभावने वादे कर सकती है। पिछले कुछ चुनावों से ऐसी योजनाओं का असर वोटर पर देखा भी गया है। यही कारण है कि BJP जोखिम लेना नहीं चाहेगी और बजट में बड़ा ऐलान कर वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश कर सकती है।