

26 मार्च, 1971 से पाकिस्तान, बांग्लादेश का कट्टर दुश्मन रहा है। लेकिन 5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद, जब से बांग्लादेश की बागडोर मोहम्मद यूनुस के हाथ में आई है, पूरा दृश्य ही बदला-बदला नज़र आ रहा है। क्योंकि जिस भारत के सहारे बांग्लादेश को दुनिया में पहचान मिली, वही बांग्लादेश अब पाकिस्तान के करीब जा रहा है, और चीन के सहारे भारत को आंख दिखाने की जुर्रत कर रहा है। हालांकि भारत सरकार भी इन्हें निपटाने के लिए तैयार है। और इस बीच भारत ने बांग्लादेश के लिए निर्यात यानी एक्सपोर्ट सुविधा ही बंद कर दी है।
8 अप्रैल, 2025 को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि बांग्लादेश के लिए एक्सपोर्ट कार्गो के लिए ट्रांसशिपमेंट फैसिलिटी बंद कर दिया गया है। सर्कुलर जारी करने के अगले दिन, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने, इस फैसले को लेकर पत्रकारों के सवाल पर कहा कि, ”इस सुविधा की वजह से पिछले कुछ समय में हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर काफी दिक्कतें पैदा हो रही थीं।” हालांकि उन्होंने साफ किया कि ढाका भारत के जरिए नेपाल और भूटान में एक्सपोर्ट कर सकता है। दरअसल, भारत ने साल 2020 में बांग्लादेश को ट्रांसशिपमेंट की सुविधा दी थी, जिसके तहत उसके एक्सपोर्ट गुड्स को भारतीय ज़मीन के जरिए नेपाल, भूटान, म्यांमार और अन्य देशों को भेजा जाता था। लेकिन अब भारत ने इसपर कुछ प्रतिबंध लगा दिए हैं।
आपको बता दें, भारत सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से पहले, मोहम्मद यूनुस भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का हवाला देकर चीन से आर्थिक विस्तार की चर्चा कर रहे थे। दरअसल पिछले महीने ये चीन के दौरे पर थे, यहां 28 मार्च, 2025 को उन्होंने चीन में समंदर के जरिए व्यापार बढ़ाने और बांग्लादेश में आकर उत्पाद करने का प्रस्ताव दिया था, ताकि उनके देश को आर्थिक लाभ मिल सके।
चीन में मोहम्मद यूनुस ने कहा था कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य लैंडलॉक्ड हैं, यानी ये राज्य ज़मीन से घिरे हुए हैं और इनकी पहुंच समंदर तक नहीं है। इस पूरे क्षेत्र का बांग्लादेश अकेला संरक्षक है, इसलिए यहां चीन आकर निवेश और व्यापार कर सकता है। इतना ही नहीं उन्होंने ‘लालमोनिरहाट’ में चीन को एयरबेस बनाने का न्योता भी दे डाला है।
और यही वजह है कि भारत सरकार अलर्ट मोड आ गई है । क्योंकि ‘लालमोनिरहाट’ पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, उससे काफी करीब है। और यह चिकन नेक भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों यानी अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला एक मात्रा रास्ता है।
आपको बता दें, चिकन नेक के दक्षिण में बांग्लादेश है, उत्तर में नेपाल, भूटान और चीन हैं। चिकन नेक का कॉरिडोर 60 किलोमीटर लम्बा और करीब 22 किलोमीटर चौड़ा है। इसके पास सिक्किम और उरुणाचल प्रदेश जैसे संवेदनशील राज्य हैं, जिन पर पहले से ही चीन की नज़र है। ऐसे में मोहम्मद यूनुस का चीन को दिया गया यह निमंत्रण भारत की सुरक्षा के लिहाज से बड़ी चुनौती खड़ा कर सकता है।
हालांकि, चिकन नेक भारत का वो हिस्सा है, जहां भारतीय वायुसेना, थलसेना, सीमा सुरक्षा बल, मिसाइलें, एडवांस रडार और डिफेंस सिक्योरिटी सिस्टम मौजूद हैं। इसके साथ ही असम राइफ्लस और बंगाल पुलिस भी सुरक्षा में लगी रहती है।
Shashi Rai