पीएम मोदी के नेतृत्व वाले केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को 18 सितंबर 2024 को मंजूरी दे दी। अब बिल को शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। इससे पहले 17 सितंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में वन नेशन वन इलेक्शन लागू करेगी। वहीं 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा था कि बार-बार चुनाव देश के विकास में बाधा डाल रहा है।
दरअसल, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर चर्चा काफी समय से चल रही थी, इस बीच 2 सितंबर 2023 को एक कमेटी बनाई गई। जिसके चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बने। कमेटी ने 7 देशों की चुनावी प्रक्रिया पर रिसर्च करके एक रिपोर्ट तैयार की। और 14 मार्च को अपनी 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी।
कमेटी की तरफ से कुल पांच सुझाव दिए गए हैं-
1. सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए।
2. हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।
3. पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर लोकल बॉडी के इलेक्शन कराए जा सकते हैं।
4. चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार करेगा।
5. कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।
कमेटी में कुल 8 सदस्य हैं-
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुआई में 8 मेंबर की कमेटी पिछले साल 2 सितंबर को बनाई गई थी। 23 सितंबर 2023 को दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में कमेटी की पहली बैठक हुई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं।
Shashi Rai