भारत का ऑनलाइन गेमिंग उद्योग 2028 तक दोगुना होकर 66,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। साथ ही, इस उद्योग में अगले कुछ वर्षों में 2 से 3 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा होने की संभावनाएं भी हैं।
उद्योग जगत के अग्रणी लोग जिम्मेदार गेमिंग को बढ़ावा देने और नियामक चुनौतियों के बीच इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए स्पष्ट नियमों के पक्षधर
जीएसटी प्रभाव के कारण 2024-28 के बीच रियल-मनी गेमिंग के 10 प्रतिशत की कम सीएजीआर से बढ़ने की आशंका
रिपोर्ट भारतीय गेमिंग उद्योग के लिए नौ प्रमुख चुनौतियों की पहचान करती है और उन्हें दूर करने के लिए रणनीति पेश करती है
पीडब्ल्यूसी इंडिया ने नई दिल्ली में भारतीय गेमिंग कन्वेंशन में ‘फ्रॉम सनराइज टू सनशाइन-द कॉन्ट्रीब्यूशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग टू विकसित भारत जर्नी एंड इंडियाज कल्चरल पावर’ टाइटल वाली अपनी एक रिपोर्ट लॉन्च की। यह रिपोर्ट उभरते वैश्विक और भारतीय गेमिंग बाजार के बारे में एक नया विजन पेश करती है। इसमें इस बात पर भी चर्चा की गई है कि किस तरह से गेमिंग भारत को विकसित भारत यात्रा को आगे बढ़ाने में मदद कर रही है। यह रिपोर्ट गेमिंग कंपनियों के सामने आ रही विभिन्न चुनौतियों के बारे में विस्तार से बताती है। रिपोर्ट एक जीवंत और जिम्मेदार गेमिंग ईको सिस्टम बनाने के लिए गेमिंग कंपनियों, गेमर्स, प्लेटफ़ॉर्म प्रदाताओं, सरकारों और अन्य हितधारकों द्वारा सामूहिक रूप से क्रियान्वित की जाने वाली कार्रवाइयों की सिफारिश भी करती है।
मनप्रीत सिंह आहूजा, टीएमटी सेक्टर लीडर और चीफ डिजिटल ऑफिसर, पीडब्ल्यूसी इंडिया ने टिप्पणी करते हुए कहा, “पूंजी का प्रवाह गेमिंग क्षेत्र पर एक महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव पैदा कर रहा है, विकास को गति दे रहा है और कई उद्योगों में नए अवसर खोल रहा है। ऐसी स्थिति में हमारे देश के पास अपने स्किल्ड टैलेंट पूल और बड़े घरेलू बाजार के साथ, वैश्विक गेमिंग पावरहाउस के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करने के महत्वपूर्ण अवसर हैं। कौशल विकास, बुनियादी ढांचे और इनोवेशन और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करके, हम इस उद्योग की पूरी क्षमता का उपयोग कर सकते हैं। एक जीवंत गेमिंग ईको सिस्टम तैयार करना और उसे आगे बढ़ाना, जमीनी स्तर पर ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना आवश्यक है। विश्वास बनाए रखने और उद्योग के सतत विकास को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार गेमिंग प्रथाओं और खिलाड़ियों की सुरक्षा के लिए मजबूत नीतियों का निर्माण महत्वपूर्ण होगा।’’
कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद भारतीय गेमिंग परिदृश्य, वैश्विक क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति के रूप में विकसित होने की क्षमता के साथ, स्थिर विकास के दौर से गुजर रहा है। इस अनुकूल माहौल के लिए अनेक सक्रिय कारक जिम्मेदार हैं, जिनमें प्रमुख हैं- उच्च डिजिटल प्रवाह के साथ बढ़ती युवा आबादी, किफायती मोबाइल डेटा तक व्यापक पहुंच और एक संपन्न स्टार्टअप ईको सिस्टम।
एक तरफ ग्लोबल गेमिंग राजस्व 2019 में 219 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023 में 342 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, और 2028 के अंत तक 8 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़कर इसके 503 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। दूसरी तरफ, भारतीय ऑनलाइन गेमिंग बाज़ार का कुल आकार 2023 में 33,000 करोड़ रुपये का होने का अनुमान है और इसके 2023-2028 के बीच 14.5 फीसदी की सीएजीआर से बढ़ते हुए 66,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावनाएं नजर आ रही हैं। ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया में इस संभावित राजस्व की प्राप्ति दरअसल रिपोर्ट में उजागर चुनौतियों का समाधान करते हुए अवसरों का लाभ उठाने पर काफी हद तक निर्भर होगी।
रिपोर्ट के अनुसार, रियल मनी गेमिंग (आरएमजी) बाजार – भारत के ऑनलाइन गेमिंग बाजार का सबसे बड़ा सब-कम्पोनेंट – 2028 तक 26,500 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। गेमिंग उद्योग की वृद्धि का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ रहा है, जिससे अगले कुछ वर्षों में अतिरिक्त 2-3 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी। वैश्विक निवेशकों को इस क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं नजर आ रही हैं और पिछले पांच वर्षों में उन्होंने 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है। विकास मुख्य रूप से कराधान मुद्दों के समाधान और नियामक स्पष्टता पर निर्भर करता है।
रिपोर्ट भारतीय गेमिंग उद्योग के लिए नौ प्रमुख चुनौतियों की पहचान करती है और उन्हें दूर करने के लिए रणनीति पेश करती है। इनमें विनियामक विखंडन, उच्च जीएसटी प्रभाव के कारण सस्टेनेबल बिजनेस मॉडल का निर्माण, मोनेटाइजेशन में नैतिक मुद्दों पर ध्यान देना और टैलेंट गैप को दूर करना शामिल है। अन्य चुनौतियां हैं – हितधारकों के हितों को संतुलित करना, खिलाड़ियों की व्यस्तता और मानसिक स्वास्थ्य का प्रबंधन करना, वैश्विक अपील के साथ सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक गेम बनाना, गेमिंग करियर के बारे में सामाजिक धारणाओं को बदलना और अवैध जुआ और विज्ञापनों से निपटना। उद्योग के सतत विकास के लिए इन चुनौतियों को दूर करना महत्वपूर्ण है।
भारतीय गेमिंग उद्योग की अपार क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने के लिए पीडब्ल्यूसी ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए एक मजबूत, राष्ट्रीय स्तर का नियामक ढांचा बनाने की सिफारिश की है। इस रूपरेखा के साथ-साथ चिंताओं को दूर करने के लिए एक अंतरविभागीय समिति का गठन भी किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में निवेश के स्थिर प्रवाह को सुनिश्चित करने और क्षेत्र में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए 2017-2023 के बीच की अवधि के लिए जीएसटी मांगों पर स्पष्टीकरण की आवश्यकता पर भी विचार किया गया है।