National Conference Of Judiciary: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को दिल्ली के भारत मंडपम में जिला अदालतों की नेशनल कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं। 2019 में सरकार ने फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट की स्थापना की थी। इसके तहत अहम गवाहों के लिए डिपोजिशन सेंटर्स का प्रावधान है। इसमें भी डिस्ट्रिक्ट मॉनिटरिंग कमेटी की भूमिका अहम है, जिसमें डिस्ट्रिक्ट जज, डीएम और एसपी शामिल होते हैं। इन कमेटी को और सक्रिय करने की ज़रूरत है।
‘अमृतकाल में देशवासियों का एक ही सपना है’
पीएम मोदी ने कहा कि ”सुप्रीम कोर्ट के 75 साल केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। ये यात्रा है भारत के संविधान और संबैधानिक मूल्यों की। ये यात्रा है एक लोकतंत्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की। भारत के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर कभी अविश्वास नहीं किया। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को ये 75 साल मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं। आजादी के अमृतकाल में देशवासियों का एक ही सपना है- विकसित भारत, नया भारत। नया भारत यानी सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत। हमारी न्यायपालिक इस विजन का एक मजबूत सतम्भ है।”
अदालतों की नेशनल कॉन्फ्रेंस दो दिनों तक चलेगी
बता दें, दिल्ली के भारत मंडपम में जिला अदालतों की नेशनल कॉन्फ्रेंस दो दिनों तक चलेगी। कॉन्फ्रेंस में 5 सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। इस दौरान जजों के लिए न्यायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पर भी विचार-विमर्श होगा। सुप्रीम कोर्ट इसका आयोजन कर रहा है। इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जिला अदालतों से 800 से ज्यादा प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। 1 अगस्त को कार्यक्रम का समापन होगा। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भाषण होगा। राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के ध्वज और प्रतीक चिह्न का भी अनावरण करेंगी।
Shashi Rai