केंद्र सरकार ने ‘लेटरल एंट्री भर्ती’ पर फैसला वापस ले लिया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC चेयरमैन को नोटिफिकेशन रद्द करने को कहा है। बता दें, बीते 17 अगस्त, 2024 को UPSC ने लेटरल एंट्री भर्ती के लिए 45 पोस्ट पर वेकेंसी निकाली थी, जिसका विपक्ष ने विरोध किया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे वापस लेने का फैसला किया है।
जानें लेटरल एंट्री के बारे में
लेटरल एंट्री मतलब बिना किसी एग्जाम के सीधी भर्ती होना। दरअसल, लेटरल एंट्री के जरिए केंद्र सरकार UPSC के बड़े पदों पर प्राइवेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स की सीधी भर्ती करती है। इसमें राजस्व, वित्त, आर्थिक, कृषि, शिक्षा जैसे सेक्टर्स में लंबे समय से काम कर रहे लोग शामिल होते हैं। सरकार के मंत्रालयों में ज्वाइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर्स और डिप्टी सेक्रेटरी की पोस्ट पर भर्ती लेटरल एंट्री से की जाती है। UPSC में लेटरल एंट्री की शुरुआत साल 2018 में हुई थी। इसमें ज्वाइंट सेक्रेटरी लेवल की पोस्ट के लिए 6077 एप्लीकेशन आए। UPSC की सिलेक्शन प्रोसेस के बाद 2019 में अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों में 9 नियुक्ति हुई।
कांग्रेस ने लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी
कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ”पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लेटरल एंट्री के जरिए ही 1976 में फाइनेंस सेक्रेटरी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया को योजना आयोग का उपाध्यक्ष और सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (NAC)चीफ बनाया गया। कांग्रेस ने लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी। अब PM मोदी ने UPSC को नियम बनाने का अधिकार देकर लेटरल एंट्री सिस्टम को व्यवस्थित बनाया है।”
Shashi Rai