13 जनवरी को रुपया अपने रिकॉर्ड ऑल टाइम लो पर आ गया। इसमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 57 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 86.61 रुपए प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ। रुपये में इस गिरावट की वजह एक्सपर्ट्स हाल ही में भारतीय शेयर मार्केट में विदेशी निवेशकों के माध्यम से की जा रही बिकवाली और जिओ पॉलिटिकल टेंशन्स बता रहे हैं। आपको बता दें, रुपए में यह गिरावट काफी समय से देखा जा रहा है, वहीं निर्मल बंग इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एक डॉलर के मुकाबले रुपया वित्त वर्ष 2025-26 में 88 के लेवल तक गिर सकता है।
अमेरिका चुनाव के बाद रुपया हुआ कमजोर
आपको बता दें, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होता जा रहा है। माना जा रहा है कि 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद रुपया और कमजोर हो सकता है। दरअसल, पहली बार 19 दिसंबर 2024 को एक डॉलर के मुकाबले रुपया 85 के नीचे आ गया था। और एक महीने से कम वक्त में ही 1.60 रुपए तक कमजोर हो गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार घटा
3 जनवरी 2025 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 634.58 अरब डॉलर पर आ गया। वहीं 27 सितंबर 2024 को RBI का मुद्रा भंडार 704.88 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया था। यानी सितंबर, 2024 के बाद जनवरी 2025 में भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में 70 बिलियन डॉलर की कमी देखने को मिली।
रुपया कमजोर होने के नुकसान
रुपया कमजोर होने की वजह भारत को विदेशों से सामानों का इंपोर्ट करना महंगा हो जाएगा। यही नहीं विदेशों में अपने बच्चों को पढ़ाना भी काफी महंगा हो जाएगा। साथ ही अगर आप दुनिया घूमने के शौकीन हैं तो भारत से बाहर जाने में आपको ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे।
Shashi Rai