राहुल गांधी

बीते मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की हुई बैठक में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को विपक्ष का नेता चुना गया। इसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को इस संदर्भ में पत्र लिखा। राहुल गांधी को उनके 20 साल के पॉलिटिकल करियर में पहली बार कोई संवैधानिक पद मिला है। वे इस पद पर रहने वाले गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं। दरअसल पिछले 10 साल से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली था, क्योंकि विपक्षी दल के पास इस पद के लिए जरूरी न्यूनतम 10 फीसदी सदस्य नहीं थे।

नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी के अधिकार

नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को कई शक्तियां और अधिकार मिल जाएंगे। वो प्रधानमंत्री के साथ चीफ इलेक्शन कमिश्नर सहित चुनाव आयोग के दो अन्य सदस्यों की नियुक्ति का चयन करने वाले प्रमुख पैनल का हिस्सा होंगे। इसके अलावा, लोकपाल, ED-CBI डायरेक्टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्रनर, सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमिश्नर, NHRC प्रमुख को चुनने वाले समितियों के भी सदस्य होंगे। प्रधानमंत्री इन समितियों के अध्यक्ष होते हैं। राहुल गांधी भारत सरकार के खर्चों की जांच करने वाली लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भी होंगे। वे सरकार के कामकाज की समीक्षा भी करेंगे। वे दूसरे देशों के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री को भी राष्ट्रीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण देने के लिए भारत बुला सकते हैं।

राहुल गांधी को मिलेंगी ये सुविधाएं

नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी को सरकारी बंगला और सचिवालय में एक दफ्तर मिलेगा। उन्हें मासिक वेतन और दूसरे भत्तों के लिए 3 लाख 30 हजार रुपए मिलेंगे। वहीं उच्च स्तर की सुरक्षा इसकेअलावा उन्हें मुफ्त हवाई यात्रा, रेल यात्रा, सरकारी गाड़ी और दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगी। बतौर सांसद राहुल गांधी को हर महीने 1 लाख रुपए वेतन और 45 हजार रुपए भत्ता मिलता है।

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