भारत पहुंचे अमेरिका के NSA जेक सुलिवन ने भारत और अमेरिका के बीच हुए परमाणु समझौते में आ रही परेशानियों को दूर करने की बात कही है। सुलिवन ने कहा, ” करीब 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह से हकीकत में बदलना है।”

एडवांस टेक्नोलॉजी अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत बनाएगी

वहीं सुलिवन ने भारतीय NSA अजित डोभाल से मुलाकात के बाद कहा कि ‘अजीत का विजन था कि भविष्य की एडवांस टेक्नोलॉजी अमेरिका-भारत संबंधों को मजबूत बनाएगी। बीते चार साल से हम दोनों ने इस पर मिलकर काम किया है।’ उन्होंने कहा कि ‘इन चार सालों में भारत-अमेरिका ने मिलकर कोरोना वैक्सीन बनाई। इसके साथ हमने मिलकर जेट इंजन, सेमीकंडक्टर और स्वच्छ ऊर्जा पर पहल शुरू की है।’

विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की

जेक सुलिवन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया।

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भारत-अमेरिका प्रदूषण रहित ऊर्जा तकनीक पर कर रहे काम

सुलिवन ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका प्रदूषण रहित ऊर्जा तकनीक पर काम कर रहे हैं। इसके लिए दोनों देश AI पर खासा जोर दे रहे हैं, ताकि भारत-अमेरिका की एनर्जी कंपनियों को उनकी नई तकनीक के विस्तार में मदद कर सकें। जेक ने कहा कि असैन्य परमाणु सहयोग के लिए अमेरिका निजी संस्थानों, वैज्ञानिकों और तकनीक के जानकारों की मदद ले रहा है।

8 अक्टूबर, 2008 को परमाणु समझौते पर हुआ दस्तखत

जुलाई 2005 में अमेरिका दौरे पर पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉज डब्ल्यू बुश को परमाणु करार पर समहत कराया था। इसके बाद जब मार्च 2006 में अमेरिका के राष्ट्रपति भारत दौरे पर आए तब दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके बाद 8 अक्टूबर, 2008 को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस समझौते पर दस्तखत कर औपचारिकता पूरी की। इस डील के बाद भारत के लिए विश्व का परमाणु बाज़ार खुल तो गया, लेकिन इस डील के दौरान जो नए रिएक्टर लगाने के लिए समझौते हुए थे, वो अब तक नहीं लगाए गए।

Shashi Rai

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