जनवरी 2025 में थोक महंगाई दर घटकर 2.31% पर पहुंच गई, जो दिसंबर में 2.37% थी। इसका कारण रोज़मर्रा की जरूरत की वस्तुओं और खाद्य सामग्री के सस्ता होना है। ये आंकड़ें 14 फरवरी को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी किया गया।
महंगाई में कमी के प्रमुख कारण:
रोज़मर्रा के सामानों की महंगाई 6.02% से घटकर 4.69% हो गई।
खाद्य पदार्थों की महंगाई 8.89% से घटकर 7.47% हो गई।
फ्यूल और पावर की महंगाई में कमी आई, जो -3.79% से घटकर -2.78% हो गई।
मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों की महंगाई 2.14% से बढ़कर 2.51% हो गई।
अन्य प्रमुख बदलाव:
सब्जियों की महंगाई 28.65% से घटकर 8.35% हो गई।
दालों की महंगाई 5.02% से बढ़कर 5.08% हो गई।
अनाज की महंगाई 6.82% से बढ़कर 7.33% हो गई।
दूध की महंगाई 2.26% से बढ़कर 2.69% हो गई।
थोक महंगाई का प्रभाव:
थोक महंगाई के लंबे समय तक उच्च रहने से उत्पादन क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जब थोक मूल्य बहुत अधिक हो जाता है, तो उत्पादक इसे उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं। सरकार इसे नियंत्रित करने के लिए टैक्स में कटौती कर सकती है, जैसा कि कच्चे तेल के मामले में किया गया था, लेकिन टैक्स कटौती की सीमा होती है।
थोक महंगाई के प्रमुख हिस्से:
प्राइमरी आर्टिकल: 22.62% वेटेज (फूड आर्टिकल्स, नॉन फूड आर्टिकल्स, मिनरल्स, क्रूड पेट्रोलियम)
फ्यूल और पावर: 13.15% वेटेज
मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट: 64.23% वेटेज (फैक्ट्री से जुड़े सामान)
महंगाई मापने के तरीके:
भारत में दो तरह से महंगाई मापी जाती है – रिटेल महंगाई (CPI) और थोक महंगाई (WPI)। रिटेल महंगाई उपभोक्ताओं द्वारा दी गई कीमतों पर आधारित होती है, जबकि थोक महंगाई व्यापारियों के बीच खरीदी और बेची गई कीमतों पर आधारित होती है।
थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स का हिस्सा 63.75%, प्राइमरी आर्टिकल्स का 22.62%, और फ्यूल एंड पावर का 13.15% है। वहीं, रिटेल महंगाई में खाद्य उत्पादों और अन्य वस्तुओं का हिस्सा 45.86% है।
Shashi Rai