एपल ने हाल ही में यह निर्णय लिया है कि 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले सभी आईफोन भारत में बनाए जाएंगे। यह बड़ा कदम चीन के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव और टैरिफ वॉर के बीच लिया गया है। चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए एपल काफी समय से अपनी सप्लाई चेन को वहां से बाहर शिफ्ट करने का काम कर रहा था, और अब उसने भारत को अपने नए मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में चुना है। इस बदलाव के बाद, भारत में आईफोन की सालाना उत्पादन क्षमता 6 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी, जो मौजूदा स्तर से दोगुना है।

अब तक, भारत में आईफोन की मैन्यूफैक्चरिंग मुख्य रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक स्थित फैक्ट्रियों में हो रही है। इनमें प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर फॉक्सकॉन है, जो एपल के साथ सबसे बड़ा साझेदार है। इसके अलावा, टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां भी एपल के लिए आईफोन का उत्पादन करती हैं। 2024-25 के दौरान, भारत ने 22 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.88 लाख करोड़) के आईफोन बनाए और 17.4 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.49 लाख करोड़) के आईफोन का निर्यात किया।

भारत में आईफोन के उत्पादन को बढ़ाने का कई कारण हैं। सबसे पहले, एपल चाहता है कि वह चीन पर अपनी निर्भरता कम करे। कोरोना महामारी, जियोपॉलिटिकल टेंशन, और ट्रेड डिस्प्यूट्स जैसे कारणों से एपल को यह महसूस हुआ कि किसी एक देश पर ज्यादा निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। भारत, कम लागत और कम जोखिम के कारण, एपल के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन गया है।

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भारत में उत्पादन बढ़ाने का एक और बड़ा कारण लागत है। भारत में श्रमिकों की लागत चीन के मुकाबले काफी कम है, जिससे एपल को उत्पादन में लागत में बचत होती है। इसके अलावा, अगर एपल भारत में स्थानीय स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग करता है, तो उसे इम्पोर्ट ड्यूटी और टैक्स से भी राहत मिलती है।

भारत सरकार की “मेक इन इंडिया” और “प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव” (PLI) जैसी योजनाओं ने एपल और उसके साझेदारों को भारत में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। इन योजनाओं के तहत, कंपनियों को स्थानीय उत्पादन बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता और अन्य लाभ मिलते हैं, जिससे भारत में मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलता है।

इसके अलावा, भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन बाजारों में से एक है। एपल के लिए यह एक बड़ा अवसर है क्योंकि स्मार्टफोन की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय उत्पादन उसे अधिक मदद करता है। वर्तमान में भारत में एपल की बाजार हिस्सेदारी लगभग 6-7% है, और इसके बढ़ने की उम्मीद है।

एक और महत्वपूर्ण पहलू है एक्सपोर्ट। भारत में बने आईफोन का लगभग 70% हिस्सा निर्यात किया जाता है। इससे एपल को चीन की तुलना में भारत के कम इंपोर्ट टैरिफ का फायदा मिलता है। 2024 में भारत से आईफोन का निर्यात 12.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया, और भविष्य में इसके और बढ़ने की संभावना है।

भारत में आईफोन मैन्यूफैक्चरिंग के बढ़ने से यह भी देखा जा रहा है कि यहां के श्रमिकों की ट्रेनिंग और कौशल में सुधार हो रहा है। एपल के पार्टनर, जैसे फॉक्सकॉन, कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर के प्लांट का विस्तार कर रहे हैं, जिससे स्थानीय कर्मचारियों को नई तकनीक और उत्पादों के निर्माण में विशेषज्ञता हासिल हो रही है।

इन सभी कारणों से, एपल का भारत पर ध्यान केंद्रित करना अब और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, और यह आने वाले वर्षों में आईफोन उत्पादन और बिक्री के मामले में भारत को एक प्रमुख केंद्र बना सकता है।

Bharati Cement

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