अमूल दूध पीता है इंडिया, जी हां, चाहे अदरक वाली चाय हो, या काजू,बादाम, पिस्ता वाली खीर, इनको बनाने के लिए दूध जरूरी है। और इस ज़रूरत को आसानी से पूरा करता है अमूल दूध। इसलिए इसके दाम को लेकर जब भी कोई बदलाव होता है, लोगों के लिए एक बड़ी खबर होती है। क्योंकि लोगों के घर के बजट से लेकर, उनके स्वास्थ्य तक पर इसका सीधा असर पड़ता है। काफी समय बाद कंपनी की तरफ से जैसे ही खबर आई कि 24 जनवरी से अमूल के दूध 1 रुपए सस्ता मिलेगा, तो लोगों ने राहत की सांस ली। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) के मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन मेहता के मुताबिक अमूल गोल्ड, अमूल शक्ति और अमूल फ्रेश की कीमतें घटाई गई हैं। नई कीमतें 24 जनवरी से लागू कर दी गई हैं। हालांकि अमूल के एमडी डयेन मेहता का ये भी कहना है कि यह कटौती सिर्फ 1 लीटर के पैक पर है, 500 मीली के पैक पर उपलब्ध नहीं है।

आपको बता दें, पिछले साल लोकसभा चुनाव नतीजे 4 जून को आए थे। इससे 3 दिन पहले ही अमूल दूध की कीमत में बढ़ोतरी की गई थी, जिसमें अमूल गोल्ड दूध में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। वहीं अमूल शक्ति और टी स्पेशल की कीमतें भी बढ़ा दी गई थीं। पिछले साल दाम बढ़ाए जाने पर GCMMF ने कहा था कि कंपनी के ऑपरेशन और प्रोडक्शन की कॉस्ट बढ़ने की वजह से कीमतें भी बढ़ाई गई हैं।

बता दें,

Poultary

– अमूल गोल्ड 1 लीटर पाउच पुरानी कीमत 66 रुपये 

– अमूल गोल्ड 1 लीटर पाउच नई कीमत 65 रुपये 

– अमूल टी स्पेशल 1 लीटर पाउच पुरानी कीमत 62 रुपये 

– अमूल चाय स्पेशल 1 लीटर पाउच नई कीमत 61 रुपये 

– अमूल फ्रेश 1 लीटर पाउच पुरानी कीमत 54 रुपये 

– अमूल फ्रेश 1 लीटर पाउच नई कीमत 53 रुपये

अमूल दूध की शुरुआत 1946 में हुई थी

ये तो रही अमूल दूध के दाम घटने की खबर, लेकिन क्या आप जानते आज अमूल दूध जो हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है इसकी शुरुआत कैसे और कब हुई? हम आपको बताते हैं।  
दरअसल, अमूल दूध की शुरुआत 14 दिसंबर 1946 में हुई। इसका इतिहास एक सामाजिक और आर्थिक आंदोलन से जुड़ा हुआ है। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके दूध का उचित मूल्य दिलवाना और उनका शोषण रोकना था, जो उस समय स्थानीय डेयरी कंपनियां और बिचौलिए कर रहे थे। बता दें, गुजरात के अहमदाबाद से लगभग 100 कि॰मी॰ की दूरी पर बसा एक छोटा शहर है आनंद। जो देश के दूध की राजधानी के नाम से प्रसिद्ध है। अमूल की स्थापना से पहले गुजरात में केवल एक ही डेयरी थी, जिसका नाम था ‘पोलसन डेयरी’, जिसकी स्थापना 1930 में हुई थी। पोलसन डेयरी बहुत प्रसिद्ध थी। लेकिन साथ ही वह देशी किसानों के शोषण के लिये भी विख्यात हो गई।

जिसके खिलाफ राष्ट्रीय नेता सरदार वल्लभभाई पटेल ने कुछ किसानों को साथ में लेकर इसके खिलाफ नॉन-कॉपरेशन आन्दोलन शुरू कर दिया। अमूल के इस आंदोलन ने भारतीय डेयरी उद्योग को पूरी तरह से बदल दिया और इसे एक नया दिशा दी। इसके परिणामस्वरूप 14 दिसम्बर 1946 में अमूल इंडिया की स्थापना हुई।

आज, अमूल भारत का सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड है और इसका नाम भारतीय समाज में एक आदर्श के रूप में स्थापित हो चुका है। अमूल ने गांवों में किसानों को तो रोजगार दिया ही है, साथ ही कई लोग अमूल की फ्रेंचाइजी लेकर काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं। अमूल के साथ काम करने का बिजनेस आइडिया (Business Idea) काफी अच्छा है। बेहद कम निवेश में अच्‍छी कमाई कर सकते हैं।

Shashi Rai
Bharati Cement

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