20 जनवरी, 2025 से अमेरिका की बागडोर डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों में आ गई है। अमेरिकी चुनाव से लेकर शपथ ग्रहण तक इस बार ट्रम्प एक अलग ही अंदाज़ में नज़र आए। इनके बयान ने कभी दुनियाभर के लोगों को आकर्षित किया, कभी डराया, तो कभी ठहाके लगाने पर भी मजबूर किया। इनमें सबसे मज़ेदार रहा फ्लोरिडा में जस्टिन ट्रूडो और ट्रम्प के बीच मुलाकात के दौरान कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बना देने की सलाह।
‘आई लव टैरिफ’ ट्रंप के इस बयान और बार-बार कई देशों पर इनकी टैरिफ लगाने की धमकी ने दुनियाभर के देशों के बीच व्यापार संबंधों को लेकर हलचल बढ़ा दी। कभी कनाडा और मैक्सिको को अपने टैरिफ हथियार से डराया तो, कभी चीन के साथ कई अन्य देशों को। चुनाव भर हिन्दुओं के संरक्षक बने रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताते रहे, लेकिन शपथ ग्रहण में उन्हें नहीं बुलाया। और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पर्सनल इनविटेशन भिजवा दिया।
इसको लेकर कयास लगाए गए कि इलेक्शन के दौरान 17 सितंबर, 2024 को मिशिगन के फ्लिंट में डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि मोदी अगले हफ्ते मुझसे मिलने आ रहे हैं, वह शानदार व्यक्ति हैं। लेकिन बयान के अगले हफ्ते पीएम मोदी अमेरिका QUAD समिट में शामिल होने पहुंचे तो बिजी शेड्यूल होने की वजह से वो ट्रम्प से मुलाकात नहीं कर पाए। शायद यही वजह थी कि ट्रम्प पीएम मोदी को अपने शपथ ग्रहण में नहीं बुलाए।
हालांकि अमेरिका में ट्रम्प-और पीएम मोदी के बीच मुलाकात को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर कमला हैरिस से मिले बिना मोदी सिर्फ ट्रम्प से मिलते तो डेमोक्रेटिक पार्टी इस मुलाकात को पक्षपात मानती।
हालांकि चुनाव के बाद नतीजे ट्रम्प के पक्ष में आए। अमेरिका की जनता ने उनको शानदार जीत दिलाई। चुनाव जीतने के बाद से लेकर शपथ ग्रहण तक एक दिन भी ऐसा नहीं रहा जब ट्रम्प अपने बयानों को लेकर चर्चा में नहीं रहे। वहीं रविवार रात को वॉशिंगटन में अपने शपथ ग्रहण से पहले ट्रम्प ने अपनी विक्ट्री स्पीच दी, इसमें उन्होंने दावा किया कि तीसरा विश्व युद्ध बेहद नजदीक है, लेकिन वो उसे रोकेंगे। साथ ही उन्होंने गाजा में हुए सीजफायर को ट्रम्प इफेक्ट बताया। वहीं उन्होंने रूस-यूक्रेन जंग और मिडिल ईस्ट के देशों में फैली अराजकता को रोकने की भी बात कही। अपने भाषण में ट्रम्प ने इस कार्यकाल में ऐतिहासिक गति से काम करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत मैक्सिको बॉर्डस को सील करने से होगी। अवैध प्रवासियों पर ट्रम्प ने कहा कि बहुत जल्द हम अमेरिका इतिहास का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू करेंगे। वहीं टिक टॉक पर बैन नहीं लगाने की बात भी दोहराई।
वैसे, ट्रम्प के शपथ ग्रहण में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तो नहीं गए, लेकिन खबर है कि डोनाल्ड ट्रम्प अपने कार्यकाल के 100 दिनों के अंदर ही चीन का दौरा करेंगे। वॉल स्ट्रीट जर्नल की ये रिपोर्ट है जिसमें ये भी कहा गया है कि ट्रम्प ने भारत का दौरा करने को लेकर भी अपने सलाहकारों से बात की है। बता दें, इससे पहले ट्रम्प और जिनपिंग के बीच फोन पर बात हो चुकी है। सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ट्रम्प ने बताया है कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति से ट्रेड, टिकटॉक और फेंटानाइल समेत दूसरे मुद्दों पर बात की है।
दरअसल, जो बाइडन के कार्यकाल में अमेरिका और चीन के रिश्ते काफी खराब स्थिति में पहुंच गए थे। वहीं चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प भी चीन पर काफी सख्त नज़र आ रहे थे। चीनी प्रोडक्ट पर एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की धमकी दे रहे थे। लेकिन शपथ ग्रहण तक आते-आते सब कुछ बदल गया । अचानक से ये खबर आई की ट्रम्प और जिनपिंग के बीच में फोन पर बात हुई है। इसके बाद अमेरिका में जो टिक टॉक पर बैन लग चुका था, उसे रोकने की बात सामने आई और फिर ट्रम्प का ये बयान भी आया कि दुनिया को अधिक शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी और मैं हर संभव प्रयास करेंगे।
वैसे इस चुनाव में ट्रम्प शुरू से ही अपने पहले कार्यकाल से अलग नज़र आए। चाहे कैंपेन करने का तरीका हो, अपने विरोधियों को जवाब देना हो, या दुनिया भर के नेताओं से बातचीत करने का अंदाज, सब कुछ काफी सधा हुआ नज़र आया। ट्रम्प लगातार कहते आए हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपतियों को विदेशी प्रतिद्वंद्वियों से सीधे बात करनी चाहिए। चीन के साथ बातचीत करने के पीछे शायद यही मकसद हो । क्योंकि हालही में ट्रंप के सलाहकार जेसन मिलर ने सीएनएन से बातचीत के दौरान इस सवाल पर कि क्या चीन और अमेरिका दोस्त बनने जा रहे हैं? उनका जवाब था कि ट्रम्प कुछ देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में बदलाव लाना चाहते हैं, चाहे वह चीन का ही मामला क्यों ना हो, इसके लिए आपको बात तो करनी होगी। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि वे चीन के प्रति काफी सख्त हों।
वहीं वॉल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक भी ट्रम्प ने चीन से फेंटानाइल की आपूर्ति करने वाले उत्पादों पर सख्ती करने के लिए कहा है। और चीनी आयात पर नए टैरिफ लगाने की योजना पर भी काम कर रहे हैं।