शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉण्ड स्कीम की SIT जांच की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तरह ही इस चरण में हस्तक्षेप करना अनुचित और समय पूर्व कार्रवाई होगी। CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस जे. बी. पादरीवाला की बेंच ने कहा कि इस धारणा पर इलेक्टोरल बॉण्ड की खरीद की जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता कि यह अनुबंध देने के लिए एक तरह का लेन-देन था। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉण्ड स्कीम को इसी साल फरवरी के महीने में रद्द कर दिया था। इसके साथ ही SBI को फौरन चुनावी बॉन्ड जारी करना, बंद करने का आदेश दिया था।

कानून के तहत उपाय उपलब्ध हैं

कोर्ट ने कहा कि अदालत ने चुनावी बॉण्ड को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार किया, क्योंकि इसमें न्यायिक समीक्षा का पहलू था। लेकिन आपराधिक गड़बड़ियों से जुड़े मामलों को अनुच्छेद 32 के तहत नहीं लाया जाना चाहिए, जब कानून के तहत उपाय उपलब्ध हैं। सुप्रीम कोर्ट गैर सरकारी संगठनों ‘कॉमन कॉज’ और ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ (CPIL) तथा अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। दोनों की याचिका में इस योजना की आड़ में राजनीतिक दलों, कॉरपोरेशन और जांच एजेंसियों के बीच स्पष्ट मिलीभगत का आरोप लगाया गया था।

योजना को एक घोटाला बताया गया

याचिका में चुनावी बॉण्ड योजना को एक घोटाला बताया गया। साथ ही ये भी दावा किया गया कि कुछ शेल कंपनियां और घाटे में रही कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉण्ड के जरिए अलग-अलग राजनीतिक दलों को चंदा दिया, जैसा की इलेक्शन कमीशन द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है। याचिका में इन कंपनियों को मिलने वाली राशि का सोर्स पता लगाने के लिए आधिकारियों से जांच करने की मांग की गई थी। 

Poultary
Shashi Rai
Bharati Cement

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here